Thursday 25 January 2018

Intro

'अपनी' कहानी किसी को नहीं बताई मैंने, चंद कागजो और इस चाँद को छोड़कर.. :)

Love

मै और तुम
मिले जब
समय के किसी
पड़ाव पर बेसाख़्ता
तो यूँ लगा!
जैसे वक़्त का एक-एक
सिरा थामे हुए
बढ़ रहे थे हम दोनों
एक दूजे की ओर
और बीच में अचानक
मुलाक़ात हो गयी।




One Liners

ज़िन्दगी तेरे रंगों से 'रंगदारी' ना हो पायी..!!


रात तुम्हारा ख़्वाब आए तो सुबह तुम्हारी ख़ुश्बू होती हे !



कभी यूँ आओ कि रूह छू लो मैं हूँ आवारा बंजारा भटकता फिर रहा हूँ कबसे ...

कभी यूँ आओ
कि रूह छू लो
मैं हूँ आवारा बंजारा 
भटकता फिर रहा हूँ कबसे
मेरी आवारगी को सुकूँ बख़्शो।
छू लो यूँ कि पिघल जाऊँ
फिर मुझे घूँट-घूँट पी लो
बनके ख़ुशबू उतर जाओ नफ़स में
मैं तो ख़ुद में रहा हूँ देर तक
अब तुम रह लो।
एक बोसा लो माथे का
और मुझे जीतकर रख लो
कभी जब गूँजती हों ख़ामोशियाँ
बैठ जाओ मेरे संग
तुम भी ये बरकत-ओ-रहमत पी लो।

Source : https://www.facebook.com/kalyuginarad/posts/1680241038681706